रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है

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 रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है



रेसिप्रोकल टैरिफ (पारस्परिक शुल्क) एक व्यापार नीति है जिसमें एक देश दूसरे देश द्वारा अपने उत्पादों पर लगाए गए आयात/निर्यात शुल्क (टैरिफ) के जवाब में समान या समकक्ष टैरिफ लगाता है। यह एक प्रतिशोधी कदम होता है, जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापारिक साझेदार को दबाव डालकर उसके टैरिफ कम करने या हटाने के लिए मजबूर करना होता है।

भारत पर प्रभाव:

सकारात्मक प्रभाव:

घरेलू उद्योगों की सुरक्षा: अगर भारत किसी देश (जैसे अमेरिका या चीन) पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाता है, तो इससे विदेशी प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है। उदाहरण के लिए,स्टील या कृषि उत्पादों पर शुल्क से घरेलू निर्माताओं को बढ़ावा मिल सकता है। टैरिफ का उपयोग व्यापार समझौतों में बेहतर शर्तें हासिल करने के लिए कूटनीति के रूप में किया जा सकता है।


नकारात्मक प्रभाव:


महंगाई और उपभोक्ता लागत: आयातित उत्पादों (जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स,कच्चा तेल, फल) पर शुल्क बढ़ने से घरेलू कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे मुद्रास्फीति का जोखिम होगा।


निर्यात को खतरा: अन्य देशों की प्रतिक्रिया से भारतीय निर्यात (जैसे आईटी सेवाएँ,दवाएँ,वस्त्र)प्रभावित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए,अमेरिका भारतीय सॉफ्टवेयर या हीरे पर अधिक शुल्क लगा सकता है।


व्यापार युद्ध का जोखिम: रेसिप्रोकल टैरिफ के चलते टैरिफ की होड़ बढ़ सकती है, जैसा 2018-19 में अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में देखा गया। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है।

अनिश्चितता और निवेश:

विदेशी निवेशकों को भारत में व्यापार नीतियों में अस्थिरता का डर हो सकता है,जिससे FDI प्रभावित हो सकती है।

2019 में अमेरिका ने भारतीय स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ बढ़ाए थे, जिसके जवाब में भारत ने अमेरिकी सेब, बादाम, और दवाओं पर शुल्क लगाने की धमकी दी थी।हाल के वर्षों में भारत ने "आत्मनिर्भर भारत" को बढ़ावा देते हुए कुछ क्षेत्रों में आयात शुल्क बढ़ाए हैं, जैसे मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स।

निष्कर्ष:

रेसिप्रोकल टैरिफ का असर भारत पर द्विध्रुवी होगा। छोटी अवधि में यह घरेलू उद्योगों को सुरक्षा दे सकता है, लेकिन लंबी अवधि में व्यापार युद्ध और वैश्विक बाजारों तक पहुँच सीमित होने का जोखिम है। सरकार को संतुलित नीति अपनानी होगी, जिसमें WTO नियमों और द्विपक्षीय समझौतों का ध्यान रखा जाए।

मुख्य विशेषताएँ:

अगर देश 'A' देश 'B' के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो देश 'B' भी देश 'A' के समान उत्पादों पर टैरिफ लगाकर जवाब देता है।

व्यापार संतुलन बनाए रखना इससे दोनों देशों के बीच व्यापार में "निष्पक्षता" लाने की कोशिश की जाती है।

 उदाहरण:

अगर अमेरिका भारतीय स्टील पर 25% टैरिफ लगाता है, तो भारत अमेरिकी सेब या मोटरसाइकिल पर 25% टैरिफ लगा सकता है।

2018-19 में अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में दोनों देशों ने एक-दूसरे के सामानों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए थे।

इसका आधार:

यह नीति अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों (WTO के तहत) और द्विपक्षीय समझौतों के अनुरूप हो सकती है, लेकिन अक्सर इससे व्यापार युद्ध जैसी स्थितियाँ भी पैदा होती हैं।

इस प्रकार, रेसिप्रोकल टैरिफ देशों के बीच आर्थिक तनाव और सहयोग दोनों को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

टैरिफ एक्ट क्या है?

यह वह कानून है जो आयात-निर्यात पर लगाए जाने वाले शुल्क (टैरिफ) को नियंत्रित करता है। भारत में सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 इसका उदाहरण है।


टैरिफ का अर्थ

टैरिफ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर या शुल्क है, जो मुख्यतः आयातित उत्पादों पर लागू होता है।


इष्टतम टैरिफ (Optimal Tariff)

यह वह टैरिफ दर है जिससे एक देश अपने आर्थिक कल्याण को अधिकतम कर सकता है, खासकर जब वह वैश्विक बाजार मूल्यों को प्रभावित करने वाला बड़ा आयातक हो।


टैरिफ के प्रकार


विशिष्ट टैरिफ: प्रति यूनिट निश्चित राशि (जैसे ₹100 प्रति किलो)।


मूल्य-आधारित टैरिफ (Ad Valorem): उत्पाद के मूल्य का प्रतिशत (जैसे 10%)।


संयुक्त टैरिफ: दोनों का मिश्रण।


सुरक्षात्मक टैरिफ: घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए।


टैरिफ लगाने के कारण


घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना।


सरकारी राजस्व बढ़ाना।


व्यापार संतुलन सुधारना।


सीमा शुल्क के प्रकार


बेसिक कस्टम ड्यूटी


काउंटरवेलिंग ड्यूटी (CVD)


एंटी-डंपिंग ड्यूटी


टैरिफ vs गैर-टैरिफ बाधाएँ


टैरिफ: वित्तीय शुल्क (जैसे कर)।


गैर-टैरिफ: कोटा, लाइसेंस, गुणवत्ता मानक आदि।


टैरिफ संरचना

उत्पादों की श्रेणी के आधार पर टैरिफ दरों का पदानुक्रम (जैसे कच्चे माल पर कम, तैयार उत्पादों पर अधिक)।


अधिनियम 1962

भारत का सीमा शुल्क अधिनियम, 1962, जो आयात-निर्यात शुल्कों को विनियमित करता है।


टैरिफ कंपनियाँ

ऐसी कंपनियाँ जो सरकारी नियमों के तहत टैरिफ (दरें) तय करती हैं, जैसे बीमा या बिजली वितरण कंपनियाँ।


टैरिफ का उल्टा (Reverse Tariff)

निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु सब्सिडी या कर छूट।


टैरिफ नीति

सरकार द्वारा टैरिफ दरों और नियमों को निर्धारित करने की रणनीति, जो व्यापार एवं आर्थिक लक्ष्यों से जुड़ी होती है।


तटकर (Coastal Duty)

समुद्री मार्ग से आयातित माल पर लगने वाला शुल्क।


इष्टतम शुल्क

इष्टतम टैरिफ का ही दूसरा नाम (देखें प्रश्न 3)।


उच्च टैरिफ का समर्थन

अमेरिका में अलेक्जेंडर हैमिल्टन और भारत में 1991 से पहले की संरक्षणवादी नीतियाँ।


सीमा शुल्क (Customs Duty)

देश की सीमा पर आयात/निर्यात होने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।


जीएसटी टैरिफ

भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर लागू जीएसटी दरें (5%, 12%, 18%, 28%)।


भारत में उत्पाद शुल्क अधिनियम

केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 (अब जीएसटी द्वारा प्रतिस्थापित)।


हॉली-स्मूट टैरिफ एक्ट (1930)

अमेरिका में उच्च टैरिफ लगाने से वैश्विक व्यापार युद्ध और महामंदी बढ़ी।


सीमा शुल्क अधिनियम का वर्ष

1962 (भारत में लागू)।


महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ:

वर्तमान टैरिफ: देश और उत्पाद के आधार पर बदलती रहती है। भारत में इसे वाणिज्य मंत्रालय द्वारा अद्यतन किया जाता है।


टैरिफ का महत्व: घरेलू बाजार की सुरक्षा, रोजगार बढ़ाना, और स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन।


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